मर्म बताती एक कविता जलाई गई हिन्दी कविता (बृजमोहन स्वामी “बैरागी”) Marm Batati Ek Kavita Jalai Gai Hindi Kavita
जम्मू की एक मस्ज़िद में
नमाज़ पढ़ते हुए हम,
उठाएंगे बिस्तर
और जाकर सोयंगे मन्दिर में,
–
नींद में आयेंगे ईसा मसीह,
जबकि सुबह फिर से दुनियांदारी का मुंह देखना है,
मरोड़ना है पुराने रेडियो का बटन
कांपते हाथों से बदलने है कई चैनल
सुननी है कई चीखें,
जो सीरिया लीबिया या
अपने ही शहर से प्रसारित होंगी।
–
खिसकती हैं पपड़ियाँ जैसे तलवों से
इस तरह खुद-ब-खुद
कोई बड़ा चेहरा बन जाता है,
–
एक ईश्वर
और उसने इतिहास बनने से इनकार कर दिया है।
जबकि इतिहास में सबसे मार्मिक कविताएँ जलाई गई
उनके कवियों की अर्थी पर धरकर,
–
इसके बाद हमने
वासना की कहानियों
समेत
तमाम हॉलीवुड फ़िल्में देखी।
–
मर्म बताती एक कविता के लिए
भविष्य में झोंक दें, कुछ शब्द
और क्रांतियों के झंडे
ताकि मानवता की
भीतरी परतों को
प्याज के छिलकों की भांति
उतारा जा सके।
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– बृजमोहन स्वामी “बैरागी”
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Hindi Poem “मर्म बताती एक कविता जलाई गई” यह कविता हमें भेजी है बृजमोहन स्वामी “बैरागी” जी ने राजस्थान से. बृजमोहन स्वामी जी हिंदी और राजस्थानी भाषा के विद्वान, कवि एवं लेखक हैं. साहित्य के क्षेत्र में ये कवि बृजमोहन स्वामी “बैरागी” नाम से लिखते हैं. बृजमोहन स्वामी का जन्म 20 जुलाई सन् 1995 को बरवाली, नोहरहनुमानगढ़, राजस्थान में हुआ. Kavi Bairagi के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़े : Hindi Biography Of Kavi Bairagi In Wikipedia
बृजमोहन स्वामी “बैरागी”
Email : Birjosyami@gmail.com

बृजमोहन स्वामी “बैरागी”
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