दयाभाव व नेकी का फल – दूसरो को सपोर्ट करने की सीख देती हिन्दी कहानी Kidness And Goodwill Story In Hindi
रोज की तरह शर्मा जी का ऑफिस से निकलने का समय हो रहा था तभी अचानक उनको याद आया कि उनकी पत्नी ने उनसे घर आते वक्त 1 दर्जन केले साथ लेकर आने को बोला है. जब वे ऑफिस से बाहर आये तो उन्होंने देखा की एक बूढ़ी औरत सडक पर ताजे केले बेच रही है. शर्मा जी आमतौर पर केले अपने ऑफिस से कुछ दूर खाने – पीने की बड़ी दुकानों व स्टोर से खरीदते थे पर आज वे घर जल्दी जाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने सोचा की उस बूढ़ी औरत से ही केले खरीद लिए जाए.

दयाभाव व नेकी का फल
वे उस बूढ़ी औरत के पास गये और केले के दाम पूछे. वह औरत बोली, ” केले 40 रूपये दर्जन है.. शर्मा जी बोले, ” लेकिन मैं हमेशा केले बड़े स्टोर से खरीदता हूँ और वहां केले मुझे 30 रूपये दर्जन मिलते है, आप उसी दाम पर मुझे केले नहीं दे सकते ?
बूढ़ी औरत बोली, ” नहीं साहब ! मैं उसी दाम पर केले नहीं दे सकती पर मैं आपको केले 35 रूपये दर्जन लगा दूंगी, इससे और कम मैं नहीं कर सकती.
शर्मा जी बोले, ” कोई बात नहीं.. और उन्होंने अपनी कार स्टार्ट की और एक बड़े स्टोर पर चले गये.
उस स्टोर से उन्होंने कुछ अच्छे केले उठाये और कैशियेर के पास बिल कराने गये, लेकिन वह तब आश्चर्य में पड़ गये जब कैशियेर बोला की, ” केले 60 रूपये दर्जन है.
शर्मा जी कैशियेर से बोले, ” मैं पिछले कई सालों से केले यहाँ से खरीदकर ले जाता हूँ लेकिन इनके दाम अभी बहुत बढ़ चुके है, मैं आपका डेली कस्टमर हूँ तो आप केलो पर कुछ डिस्काउंट देंगे ?
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तभी कुछ दूर खड़े स्टोर मेनेजर ने शर्मा जी की बात सुनी और वह उनके पास आया.. वह शर्मा जी से बोला, ” सॉरी सर, हमारे सभी चीजो का रेट फिक्स रहता है, इसलिए कोई डिस्काउंट नहीं हो पायेगा. मेनेजर के ऐसे रवैये से शर्मा जी को थोड़ा बुरा लगा. उन्होंने थोड़ा सोचा और फिर केले वापस रख दिए. वह वापस उस बूढ़ी औरत के पास आये.
बूढ़ी औरत ने शर्मा जी को देखा और बोली, ” साहब ! मैं उस रेट पर आपको केले नहीं दे सकती, इससे मुझे कुछ भी प्रॉफिट नहीं होगा.
शर्मा जी उससे बोले, ” आप रेट की चिंता मत करो. आप दो दर्जन केले तोल दो, मैं आपको 60 रूपये दर्जन के हिसाब से पैसे दूंगा.
वह बूढ़ी औरत काफी खुश हुई और 2 दर्जन केले पैक करने के बाद बोली, ” मेरे प्रति आपकी दया देखकर मुझे अच्छा लगा, आप मुझे 60 नहीं 40 रूपये दर्जन के हिसाब से पैसे दो..
वह आगे बोली, ” मेरे पति की कुछ समय पहले तक फलों की एक छोटी दुकान थी पर अब वे बहुत बीमार रहते है. हमारा सपोर्ट करने वाला कोई भी इंसान व परिजन नहीं है. इन केलो को बेचकर मैं अपने पति के लिए दवाइयाँ लाती हूँ. केले बेचकर थोड़ा बहुत घर का गुजारा भी चल जाता है.. ऐसा कहते – कहते उसकी आँखों से आंसू आने लगे.
शर्मा जी उस बूढ़ी औरत से बोले, ” चिंता न करे, तुम बहुत अच्छा कर रहे हो और कल से मैं तुम्ही से केले खरीदूंगा. उन्होंने अपना पर्स निकाला और उसे 200 रूपये एक्स्ट्रा दे दिए और बोले, ” यह लो, और कल से केले के अलावा दुसरे फल भी बेचना शुरू करो.. यह समझ लो की यह मेरी तरफ से एडवांस पैसे है. अगर आप सभी तरह के फल बेचोगे तो आप अधिक पैसा कमा सकते हो. उस बूढ़ी औरत ने शर्मा जी को धन्यवाद किया.
कुछ दिन बाद, शर्मा जी ने अपने ऑफिस के दूसरे स्टाफ से भी उस बूढ़ी औरत से ही फल खरीदने की गुजारिश की. शर्मा जी और उनके ऑफिस स्टाफ के सपोर्ट के कारण वह बूढ़ी औरत अच्छा पैसा कमाने लगी और इस तरह से अब वह अच्छी तरह से अपना गुजारा करने लगी.
Moral Of This Story :
दोस्तों ! यह कहानी बताती है की हमारा एक छोटा सा प्रयास किसी की ज़िन्दगी को बहुत बेहतर बना सकता है. हम लोग हमेशा ही बड़े मॉल व स्टोर से शॉपिंग करना पसंद करते है और वहां हम हमेशा फिक्स रेट पर ही बिना किसी सौदाबाजी के पैसे चुका देते है. हम सभी लोगो की यह चॉइस होती है और स्टोर वालो का यह बिजनेस.
जो भी हो, लेकिन हमें थोड़ा सा इस बारे में जरुर सोचना चाहिए की बिना किसी सौदेबाजी के बड़े मॉल से शॉपिंग करना सही है या फिर छोटी – छोटी दुकानों से सौदेबाजी करके सामान खरीदना.
हमें हमेशा ही उन लोगो को सपोर्ट करना चाहिए जो लोग कुछ कमाने के लिए बहुत हार्ड वर्क कर रहे है और जिनका हर दिन का गुजारा अपना सामान बेचकर चलता है. जरा सोचो, की आखिर शर्मा जी ने उस बूढ़ी औरत से केले क्यों ख़रीदे ?
इसलिए दोस्तों खुद को थोड़ा दयावान बनाये, बड़े स्टोर से सामान जरुर ले पर गली में गुजरने वाले छोटे – छोटे दुकानों व सब्जी बेचने वालो से भी कुछ खरीदारी जरुर करे. मैं उम्मीद करता हूँ की आपको बहुत अच्छा सामान बहुत सस्ते में अवश्य मिलेगा.
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kahani ki seekh prerna dene wali hai. such me hmen in bato ka dhyan rakhna chahiye.