मेरी वाइफ काम नहीं करती ! My Wife Does Not Work In Hindi
शादीशुदा लोगो की ज़िन्दगी में एक बात बहुत आम होती है और वह है एक पति – पत्नी के बीच में आपसी नोंकझोक… यानी किसी भी बात पर आपस में बहस हो जाना यह एक आम बात है. यह अगर बस एक Normal बात ही रहे तो सब ठीक है लेकिन जब यह नोंकझोक रिश्ते को ख़राब करने लग जाए तो यह रिश्तो को तोड़ने का काम करती है. इसलिए आपसी नोंकझोक या झगड़े को बातचीत का टॉपिक ख़त्म होते ही भूल जाए अगर दोनों में से किसी एक ने भी इसे मन में रहने दिया तो यह प्यारा सा रिश्ता खटास में बदल सकता है.
कई लोग अपने दोस्तों व परिजनों से यह शिकायत करते रहते है की उनकी पत्नी कोई काम नहीं करती या वह बस मेरे भरोसे घर में बैठकर आरामदायक ज़िन्दगी बिताती है. घर का खर्च संभालना, पैसे कमाना या नौकरी करना उसके बस में नहीं है.. क्या यह बात सही है.. मैं नहीं मानता..
आज के समय में जिस तरह से हर क्षेत्र में महिलाओ का वर्चस्व बढ़ रहा है उससे यह सोच भी अब धीरे – धीरे खत्म हो रही है. जिससे समाज के हर काम में महिलाओ की हिस्सेदारी बढती जा रही है, जो की एक बेहतर समाज के लिए बहुत ही गौरव की बात है.

Wife – Husband
आज इस आर्टिकल में हम आपके साथ उन लोगो के लिए एक खास सन्देश शेयर कर रहे है जो अपनी पत्नी पर ” मेरी वाइफ काम नहीं करती ” यह लाइन हर समय थोपते रहते है. उन लोगो को यह कहानी पूरी पढनी चाहिए जिनके अंदर यह सोच है या जो इस बात पर थोड़ा भी यकीन करते है..
उदाहरण के जरिये यहाँ एक संजय नाम के पति की एक मनोवैज्ञानिक चिकित्सक डॉ गुप्ता से हुई आपसी बातचीत शेयर की जा रही है.. इस आपसी बातचीत को आप पढ़े और खुद निष्कर्ष निकाले कि.. क्या वाकई आपकी पत्नी कोई काम नहीं करती ?
एक पति और मनोवैज्ञानिक डॉक्टर गुप्ता की आपसी बातचीत (Conversation between a Husband (Sanjay) and a Psychologist (Dr. Gupta):
डॉ गुप्ता : आप क्या काम करते हो संजय जी ?
पति : मैं बैंक में अकाउंटेंट के पद पर हूँ.
डॉ गुप्ता : और आपकी पत्नी क्या काम करती है ?
पति : वह कुछ भी काम नहीं करती.. वह सिर्फ एक हाउसवाइफ है.
डॉ गुप्ता : आपकी फैमिली के लिए सुबह का नाश्ता कौन बनाता है ?
पति : मेरी पत्नी बनाती है, क्योंकि वह कोई काम नहीं करती.
डॉ गुप्ता : आपकी पत्नी सुबह का नाश्ता बनाने के लिए कितने बजे उठ जाती है ?
पति : वह सुबह 5 बजे उठ जाती है, क्योंकि वह नाश्ता बनाने से पहले घर की साफ़ – सफाई करती है.
डॉ गुप्ता : आपके बच्चो को स्कूल तक छोड़ने के लिए कौन जाता है ?
पति : मेरी वाइफ बच्चो को स्कूल पहुँचाती है, क्योंकि वह कोई काम नहीं करती.
डॉ गुप्ता : बच्चो को स्कूल छोड़ने के बाद आपकी पत्नी क्या करती है ?
पति : वह उसके बाद मार्केट जाती है और वहां से आने के बाद वह खाना बनाती है और कपडे धोती है. आप को पता है न.. वह कोई काम नहीं करती.
डॉ गुप्ता : शाम को, जब आप ऑफिस से घर लौट आते हो तब आप उसके बाद क्या करते हो ?
पति : आराम करता हूँ, क्योंकि दिनभर काम करके मैं थक जाता हूँ.
डॉ गुप्ता : तब आपकी पत्नी उस समय क्या करती है ?
पति : वह खाना बनाती है, बच्चो को खाना खिलाती है, मुझे भी खाना परोस के देती है, उसके बाद बर्तन धोती है व घर की सफाई करती है और अंत में बच्चो को सुला देती है.
- Read : तीन चीजे आपको हमेशा सोच – समझ कर खर्च करनी चाहिए !
दोस्तों ! ऊपर की कहानी पढ़कर आप बताये की कौन अधिक काम करता है ??
आपकी पत्नी का डेली रूटीन सुबह जल्दी (early morning) उठने से लेकर देर रात (late night) तक चलता रहता है. इसको आप कहते हो की ” वह कोई काम नहीं करती ” ! जी हाँ, एक हाउसवाइफ को किसी एजुकेशनल सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होती, या उसके पास कोई उच्च पद नहीं होता, लेकिन उसकी भूमिका और काम बहुत ही महत्वपूर्ण है.
अपनी पत्नी की सराहना करे क्योंकि आपकी पत्नी द्वारा किये गये त्याग अनगिनत है.. यह कहानी हम सभी के लिए एक सीख और रिमाइंडर होनी चाहिए ताकि हम एक – दुसरे (पति – पत्नी ) की भूमिका की सराहना व तारीफ करे और पत्नी के द्वारा किये गये हर काम के शुक्रगुजार बने.. आपको इसकी शुरुआत आज ही से कर लेनी चाहिए.
All The Best ! ?
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Nice article sir 👌
bahut khub kaha aapne, koi nahi samaj pata hai ladaies ke kam ko
mari ptni bhi koi kaam nhi karti hai nice post
patni ke kaam aur uske mahatv ke upar bahut hi accha article likha hai surendra ji aape. hamare samaj me apne spouse ko visheshkar mahilaon ko kamtar aankne ki bhool ki jaati hai. jagrat karne ke liye dhanyavad.
बहुत अच्छी पोस्ट है
बहुत अच्छा आर्टिकल है | हम औरते दिन भर काम करती है पर बहुत कम लोग ही इसे समझ पाते हैं | धन्यवाद
किसी भी स्त्री का ऐसा चित्रण बहुत ही कम लोगो के लेखो में मिलता है| आपका यह लेख वाकई काबिले तारीफ है
सुरेंद्र जी, कमाल का आर्टिकल लिखा आपने। सच मे काबिले तारीफ।
समाज मे औरतों के काम करने की हिस्सेदारी भी बढ़ रही है, लेकिन जो भारतीय परंपरा है, वह सबसे बेहतर है और एक अच्छी व खुशहाल जिंदगी के लिए सबसे जरूरी भी।
कुछ लोग कहते है कि औरतों को सिर्फ घर पर बैठना चाहिए है और कुछ कहते है उन्हें भी काम करना चाहिए, आखिर वह भी देश का भला करेंगी।
बातें तो दोनों ही बिल्कुल सही है, मैं किसी भी बात के खिलाफ नही, लेकिन एक बात मैं कहूंगा कि जो लोग कहते है कि औरतों को काम जरूर ही करना चाहिए, मतलब वह Job करे ही करे ,तो वह गलत है।
हिन्दू रीति रिवाजों में 7 वचन लिए जाते है और इसमे एक वचन यह भी है कि आदमी कमाकर लाएगा और औरत घर-भार संभालेगी क्योंकि अगर दोनों काम करने लग जाये तो घर अच्छे से नही संभाला जा सकता। और बच्चो की परवरिश, देखभाल, उन्हें पढ़ाना-लिखाना, अगर मां न ध्यान दे तो बच्चा सफल नही हो सकता और अगर सफल हो भी जाये तो उसकी सहन-शक्ति दिमाग की और शरीर की भी ,इतनी नही बढ़ सकती कि वह सब कुछ आसानी से कर सके। लेकिन जब माँ सब ध्यान देती है तो बच्चे का विकास बहुत ही बढ़िया तरीके से होता है।
औरत दिन से लेकर रात तक काम करती है ,और आदमी बाहर से कमाकर लाता है क्योंकि भगवान से शरीर की रचना ही इस प्रकार से की है। इसलिए माँ(पत्नी भी) को माँ(पत्नी) का और पिता(आदमी भी) को पिता(आदमी) का ही फर्ज निभाना चाहिए और उसी तरह जीवन का निर्वाह करना चाहिए।
That’s nice. Very well said.
acha articl likha hai sir apne. padhkar bahut acha laga.