गुरु की सीख – A Short Story About Understanding !
किसी शहर में एक गुरु और उनका शिष्य रहते थे. वे बहुत सुन्दर खिलौने बनाते और दिन भर बनाये खिलौनों को शाम के समय बाजार जाकर बेच आते. गुरु के बनाये खिलौनों की अपेक्षा शिष्य द्वारा बनाये गये खिलौने अधिक दाम में बिकते थे.
इसके बाद भी गुरु, शिष्य को रोजाना काम में अधिक मन लगाने और अधिक सीखने की शिक्षा देते थे. वे उससे कहते की काम में और मेहनत करो, हाथ में सफाई लाओ.

गुरु की सीख !
शिष्य सोचता की मैं गुरु से अच्छे खिलौने बनाता हूँ, शायद उन्हें मुझसे ईर्ष्या है. आख़िरकार उसने एक दिन गुरु से कह ही दिया, ” आप मेरे गुरु है. मैं आपका सम्मान भी करता हूँ.
लेकिन आप मुझे हमेशा काम पर अधिक मन लगाने के लिए जोर देते रहते हो. यह आपको पता है की मेरे बनाये खिलौने आपसे अधिक कीमत में बिकते है.
गुरु जी ने बिना किसी उत्तेजना के शिष्य की बात का उत्तर दिया, ” बेटा, आज से बीस साल पहले मुझसे भी ऐसी ही भूल हुई थी, तब मेरे गुरु के खिलौने भी मुझसे कम दाम में बिकते थे.
वे भी मुझसे अपना काम और कला को लगातार सुधारने के लिए कहा करते थे. मैं उन पर बिगड़ गया था और फिर अपनी कला का विकास नहीं कर पाया. अब मैं नहीं चाहता की तुम्हारे साथ भी वही हो. यह सुनते ही शिष्य को अपनी भूल का अहसास हुआ और उस दिन से वह जी – जान से अपने हुनर को बढ़ाने में लग गया और बड़ा होकर वह एक बहुत बड़ा कलाकार बना.
दोस्तों ! अपनी भूल अपने ही हाथो सुधर जाए, तो यह इससे कही अच्छा है की कोई दूसरा उसे सुधारे. हम अधिकतर दूसरे के गुणों की अपेक्षा उनकी गलतियों से अधिक सीख सकते है.
जीवन में अगर गुरु अच्छा हो या हमें समझाने वाला इंसान बेहतर हो तो व्यक्ति तरक्की की सीढियाँ चढ़ते जाता है. अगर हम गुरु की बातो को दरकिनार करते है तो हम खुद के पैरों पर ही कुल्हाड़ी मारने का काम करते है. इसलिए जब भी आपको कोई अच्छी चीजे सीखाये चाहे वह आपके टीचर हो या आपके माता – पिता. उनकी कही गयी बातो को ध्यान से सुने और उन्हें अपनी ज़िन्दगी में ईमानदारी से अपनाये.
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बहुत ही खुबसूरत कहानी सुनाई आपने दिल से धन्यवाद लोगों की जिदगी बेहतरीन बनाने के लियेअपआपके मेरे ब्लॉंग पॉजिटव बाते पर स्वागत है कृप्या आऐ और अपने बहुमू्ल्य सुझाव देनेकेकी कपा करें.
agar hume koi hmaari safalta par bhi hume aur adhik mehnat krne ko kehta hai to iska mtlb ki veh hmaari bhlayi hi chahta hai aur aise insaan se hume hmesha seekh leni chahiye …
Guru bina Gyan nahi,
Gyan bina Vikas nahi,
Vikas bina Safalta nahi
aur Safalta bina hum nahi…..
isliye hume hmesha Guru ki baato ko maanna chahiye, veh jo bhi hume kehte hai ,hmaare bhale k liye hi kehte hai .
Respected Surendra Mahara sirji,
Help me!!!
Mai ye secret aapko hi bta rha hu…sir agar meri baat buri lge toh mughe maaf karna please.
Mughe btaane me sharm aati h.
Sir,help me please.
Guide me.