Sushruta Biography in Hindi महान चिकित्सक सुश्रुत की जीवनी
आयु सम्बन्धी प्रत्येक जानने योग्य ज्ञान (वेद) को आयुर्वेद कहते है. आयुर्वेद सम्बन्धी सिद्धान्तों का क्रमबद्ध संकलन कर ऋषियों ने अनेक संहिताओ का निर्माण किया है. इस संहिताओ में सुश्रुत संहिता, शल्य तंत्र प्रधान और चरक संहिता काय चिकित्सा प्रधान ग्रन्थ है. इन ग्रंथो के रचयिता क्रमशः सुश्रुत और चरक है.
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उनके समय में न आज जैसी प्रयोगशालाएं थी, न यंत्र और न ही चिकित्सा सुविधाएँ फिर भी अपने ज्ञान और अनुभव से उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में ऐसे उल्लेखनीय कार्य किये जिनकी नीव पर आज का चिकित्सा विज्ञान सुदृढ़ता से खड़ा है. आइये चिकित्सा के क्षेत्र में पथ प्रदर्शक माने जाने वाले ऐसे ही महान चिकित्सक सुश्रुत के बारे में जाने-
मध्य रात्रि का समय था. किसी के जोर से दरवाजा खटखटाने से सुश्रुत की नींद खुल गयी.
” बाहर कौन है ? वृद्ध चिकित्सक ने पूछा. फिर दीवार से जलती हुई मशाल उतारी और दरवाजे पर जा पहुंचे.
” मैं एक यात्री हूँ ” किसी ने पीड़ा भरे स्वर से उत्तर दिया. मेरे साथ दुर्घटना घट गयी है. मुझे आप के उपचार की आवश्यकता है.
यह सुनकर सुश्रुत ने दरवाजा खोला. सामने एक आदमी झुका हुआ खड़ा था, उसकी आँख से आँसू बह रहे थे और कटी नाक से खून. सुश्रुत ने कहा, ” उठो बेटा भीतर आओ, सब ठीक हो जायेगा, अब शांत हो जाओ.
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वह अजनबी को एक साफ़ – सुथरे कमरे में ले गये. शल्य चिकित्सा के उपकरण दीवारों पर टंगे हुए थे. उन्होंने बिस्तर खोला और उस अजनबी से बैठने के लिए कहा. फिर उसे अपना चोगा उतारने और दवा मिले पानी से मुंह धोने के लिए कहा. चिकित्सक ने अजनबी को एक गिलास में कुछ द्रव्य पीने को दिया और स्वयं शल्य चिकित्सा की तैयारी करने लगे.
बगीचे से एक बड़ा सा पत्ता लेकर उन्होंने अजनबी की नाक नापी. उसके बाद दीवार से एक चाकू और चिमटी लेकर इन्हें आग की लौ में गर्म किया. उसी गर्म चाकू से अजनबी के गाल से कुछ मांस काटा. आदमी कराहा लेकिन उसकी अनुभूतियाँ नशीला द्रव्य पीने से कुछ कम हो गयी थी.
गाल पर पट्टी बांध कर सुश्रुत ने बड़ी सावधानी से अजनबी की नाक में दो नलिकाएं डाली. गाल से काटा हुआ मांस और नाक पर दवाइयां लगाकर उसे पुनः आकार दे दिया. फिर नाक पर घुँघची व लाल चन्दन का महीन बुरादा छिडक कर हल्दी का रस लगा दिया और पट्टी बाँध दी. अंत में सुश्रुत ने उस अजनबी को दवाइयों और बूटियों की सूची दी जो उसे नियमित रूप से लेनी थी. उसे कुछ सप्ताह बाद वापस आने को कहा जिससे वह उसे देख सके.
आज से ढाई हजार वर्ष पूर्व सुश्रुत ने जो किया था उस का विकसित रूप आज की प्लास्टिक सर्जरी है. सुश्रुत को पूरे संसार में आज भी ‘प्लास्टिक सर्जरी’ का जनक कहा जाता है.
सुश्रुत का जन्म 600 वर्ष ईसा पूर्व हुआ था. वह दैनिक ऋषि विश्वामित्र के वंशज थे. उन्होने वैद्यक और शल्य चिकित्सा का ज्ञान वाराणसी में दिवोदास धनवन्तरी के आश्रम में प्राप्त किया था.
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वे पहले चिकित्सक थे जिन्होंने उस शल्य क्रिया का प्रचार किया जिसे आज सिजेरियन ऑपरेशन कहते है. वह मूत्र नलिका में पाए जाने वाले पत्थर निकालने में, टूटी हड्डियों को जोड़ने और मोतियाबिंद की शल्य चिकित्सा में दक्ष थे.
उन्होने शल्य चिकित्सको को ऑपरेशन से पहले अपने उपकरण गर्म करने के लिए कहा जिससे कीटाणु मर जाये. उन्होंने यह भी सुझाव दिया की बीमार को ऑपरेशन से पहले नशीला द्रव्य पिलाया जाए. चिकित्सक आज भी इसका प्रयोग एन्सिथजिया निश्चेतक के रूप में करते है.
सुश्रुत एक अच्छे अध्यापक भी थे. उन्होंने अपने शिष्यों से कहा था- ” अच्छा वैद्य वही है जो सिद्धांत और अभ्यास दोनों में पारंगत हो”.
वे अपने शिष्यों से कहा करते थे की वास्तविक शल्य चिकित्सा से पहले जानवरों की लाशो पर शल्य चिकित्सा का अभ्यास करना चाहिए. अपनी पुस्तक ‘सुश्रुत संहिता’ में उन्होंने विभिन्न प्रकार के 101 उपकरणों की सूची दी है.
आज भी उन यंत्रो के समान यंत्र वर्तमान चिकित्सक प्रयोग में लाते है. वह चिमटियो के नाम उन जानवरों या पक्षियों पर रखते थे जिनकी शक्ल से वे मिलते थे, जैसे क्रोकोडाइल फारसेप्स, हाकबिल फारसेप्स आदि.
आज भी सुश्रुत संहिता की उपलब्धि यह सबूत है की यह अपने विषय का सर्वोतम ग्रन्थ है. इस सुश्रुत संहिता ने आज के चिकित्सा विज्ञान को नयी ऊँचाईयाँ दी है.
ऐसे महान चिकित्सक पर हम सब को गर्व होना चाहिए जिन्होंने हमें चिकित्सा क्षेत्र में इतना कुछ दिया. ऐसे महान आत्मा को हमारा प्रणाम.
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Priyanka soni says
Sahi h.. almost bahut se invention India se hi hua h but fir bhi Ham logo ko vo respect nhi mil pata Jo milna chahiye ..🙄
Digvijay says
Very good
Surendra Mahara says
bahut hi badhia bat kahi aapne.
Amul Sharma says
Bahut acchi jankari di aapne……hame garbv hai apne ancient age par jisne itne behtareen logo ko apne andar sameta……..