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दुष्यन्त पुत्र भरत की ऐतिहासिक कहानी Raja Bharat Historical Story in hindi

October 17, 2016 By Surendra Mahara 13 Comments

दुष्यन्त पुत्र भरत की ऐतिहासिक कहानी Raja Bharat Historical Story in hindi

Table of Contents

  • दुष्यन्त पुत्र भरत की ऐतिहासिक कहानी Raja Bharat Historical Story in hindi
    • Raja Bharat Historical Story in hindi
    • ऐतिहासिक कहानी – दुष्यंत और शकुंतला की कथा
        • निवेदन- आपको  all information about Raja Bharat in hindi, raja bharat ki katha,raja dushyant and shakuntala, raja bharat ki kahani, king bharat story in hindi ये आर्टिकल  कैसा  लगा  हमे  अपने  कमेन्ट के माध्यम से जरूर बताये क्योंकि आपका एक Comment हमें और बेहतर लिखने के लिए प्रोत्साहित करेगा और हमारे Facebook Page को जरूर LIKE करे.

Raja Bharat Historical Story in hindi

” होनहार बिरवान के होत चीकने पात ” इस कहावत का आशय यह है कि वीर, ज्ञानी और गुणी व्यक्ति की झलक उसके बचपन से ही दिखाई देने लगती है. हमारे देश में अनेक महापुरुष हुए है.

इन महापुरुषों ने अपने बचपन में ही ऐसे कार्य किये जिन्हें देखकर उनके महान बनने का आभास होने लगा था. ऐसे ही एक वीर, प्रतापी व साहसी बालक भरत थे.

भरत हस्तिनापुर के राजा दुष्यन्त के पुत्र थे. राजा दुष्यन्त एक बार शिकार खेलते हुए कण्व ऋषि के आश्रम पहुंचे, वहां शकुन्तला को देखकर वह उस पर मोहित हो गये और शकुन्तला से आश्रम में ही गंधर्व विवाह कर लिया.

आश्रम में ऋषि कण्व के न होने के कारण राजा दुष्यन्त शकुन्तला को अपने साथ नहीं ले जा सके. उन्होंने शकुन्तला को एक अँगूठी दे दी जो उनके विवाह की निशानी थी.

Raja Bharat Historical Story in hindi

Raja Bharat Historical Story in hindi

         Raja Bharat

ऐतिहासिक कहानी – दुष्यंत और शकुंतला की कथा

एक दिन शकुन्तला अपनी सहेलियों के साथ बैठी दुष्यन्त के बारे में सोच रही थी. उसी समय दुर्वासा ऋषि आश्रम में आये. शकुन्तला दुष्यन्त की याद में इतना अधिक खोई हुई थी कि उसे दुर्वासा ऋषि के आने का पता ही नहीं चला.

शकुन्तला ने उनका आदर – सत्कार नहीं किया. जिससे क्रोधित होकर दुर्वासा ऋषि ने शकुन्तला को शाप दिया कि ‘ जिसकी याद में खोये रहने के कारण तूने मेरा सम्मान नहीं किया, वह तुझको भूल जायेगा’.

दुर्वासा – एक मुनि जो शंकर के अंश से उत्पन्न अनुसूया और अत्रि के पुत्र थे. ये अत्यंत क्रोधी थे.

शकुन्तला की सखियों ने क्रोधित ऋषि से अनजाने में उससे हुए अपराध को क्षमा करने के लिए निवेदन किया. ऋषि ने कहा- ‘मेरा शाप का प्रभाव समाप्त तो नहीं हो सकता किन्तु दुष्यन्त द्वारा पहनाई गयी अँगूठी को दिखाने से उन्हें विवाह का स्मरण हो जायेगा’.

कण्व ऋषि जब आश्रम वापस आये तो उन्हें शकुन्तला के गंधर्व विवाह का समाचार मिला. उन्होंने एक गृहस्थ की भांति अपनी पुत्री को पति के पास जाने के लिए विदा किया. शकुन्तला के पास राजा द्वारा दी गयी अँगूठी नहीं थी.

शाप के प्रभाव से सम्राट दुष्यन्त अपने विवाह की घटना भूल चुके थे. वे शकुन्तला को पहचान नहीं सके. निराश शकुन्तला को उसकी माँ मेनका अप्सरा ने कश्यप ऋषि के आश्रम में रखा. उस समय वह गर्भवती थी. इसी आश्रम में दुष्यन्त के पुत्र भारत का जन्म हुआ.

भरत बचपन से ही वीर और साहसी था. वह वन के हिंसक पशुओ के साथ खेलता और सिंह के बच्चो को पकड़ कर उनके दांत गिनता था. उसके इन निर्भीक कार्यो से आश्रमवासी उसे सर्वदमन कह कर पुकारते थे.

समय का चक्र ऐसा चला कि राजा को वह अँगूठी मिल गयी जो उन्होंने शकुन्तला को विवाह के प्रतीक के रूप में दी थी. अँगूठी देखते ही उनको विवाह की याद ताजा हो गयी. 

शकुन्तला की खोज में भटकते हुए एक दिन वह कश्यप ऋषि के आश्रम में पहुंच गये जहाँ शकुन्तला रहती थी. उन्होंने बालक भरत को शेर के बच्चो के साथ खेलते देखा.

राजा दुष्यन्त ने ऐसे ही साहसी बालक को पहले कभी नहीं देखा था. बालक के चेहरे पर अद्भुत तेज था. दुष्यन्त ने बालक भरत से उसका परिचय पूछा. भरत ने अपना और अपनी माँ का नाम बता दिया.

दुष्यन्त और भरत की बातचीत हो रही थी, उसी समय आकाशवाणी हुई की ‘ दुष्यन्त यह तुम्हारा ही पुत्र है’ इसका भरण पोषण करो’ क्योंकि आकाशवाणी ने भरण की बात कही थी इसलिए दुष्यन्त ने अपने पुत्र का नाम भरत रखा.

दुष्यन्त ने भरत का परिचय जानकर उसे गले से लगा लिया और शकुन्तला के पास गये. अपने पुत्र व पत्नी को लेकर वह हस्तिनापुर वापस लौट आये. हस्तिनापुर में भरत की शिक्षा – दीक्षा हुई.

दुष्यन्त के बाद भरत राजा बने. उन्होंने अपने राज्य की सीमा का विस्तार सम्पूर्ण आर्यावर्त (उत्तरी, मध्य भारत ) में कर लिया. अश्वमेघ यज्ञ कर उन्होंने चक्रवती सम्राट की उपाधि प्राप्त की.

चक्रवती सम्राट भरत ने राज्य में सुदृढ़ न्याय व्यवस्था और सामाजिक एकता (सदभावना) स्थापित की. उन्होंने सुविधा के लिए अपने शासन को विभिन्न विभागों में बाँट कर प्रशासन में नियन्त्रण स्थापित किया. भरत की शासन प्रणाली से उनकी कीर्ति सारे संसार में फ़ैल गयी.

शेरो के साथ खेलने वाले इस ‘भरत’ के नाम पर ही हमारे देश का नाम ‘भारत’ पड़ा.

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Image Credit  

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Comments

  1. Anandpanikar says

    May 9, 2020 at 8:42 pm

    Apka Katha pdukar hame bohath Acha lega
    Aisa or charithru kathaue likthe rehye
    Dhannya bad hamara my
    Subhkamnaye f book ke sath

  2. Rahul Thakur R~T says

    July 16, 2018 at 11:55 pm

    For chetan- BHARAT ko mugal shaashak Babar ne ‘Hindustan’ naam diya tha jiska matlab hai ‘hinduon ka desh’.
    Is parkar hum kah sakte hai ki BHARAT hamare desh ka pehla naam hai.
    Aur bharat naam kaise padaa o to aapko story read karke pata chal gayaa hoga.
    Thank you… Bey

  3. Younoos Takawade says

    January 15, 2018 at 10:02 pm

    Very nice dhanyawad

  4. chetan dumdeorao kawde says

    October 19, 2017 at 1:32 pm

    खूब बढ़िया कहानी है। जो कभी कही सुना नहीं वो पता चुअल गया। धन्य्वाद आपका इसके लिए। पर मेरा एक सवाल है।
    अपने देश का नाम ” इंडिया” तो अंग्रेजो ने रखा होगा, …..
    …..,,,,,,…………पर,

    मेरा सवाल ये है की……
    अपने देश का सबसे पहला नाम हिंदुस्तान है या भारत है।

    अगर भारत था तो हिंदुस्तान क्यों बोलते थे और अगर हिंदुस्तान था तो भारत किस कारन पड़ा।…..

    कृपा करके मुझे इस प्रश्न का जवाब और कारण बताना मई आपका बोहोत आभारी रहूंगा।

  5. Rajesh Kumar Jha says

    October 12, 2017 at 11:43 am

    Bahut badhiya story

  6. pratham says

    June 19, 2017 at 4:03 pm

    very nice

  7. Surendra Mahara says

    May 11, 2017 at 8:19 am

    hanji अभिषेक सही कहा आपने. कौरव व पांडव भारत के ही वंशज है. आप अगर और पोस्ट भी पढना चाहते है तो हमारे Homepage को चेक करते रहे : https://www.nayichetana.com

  8. Abhishek Yadav says

    May 10, 2017 at 11:27 pm

    Mujhe bahut he achchha laga sir kuch or v janna ho to kaise dekhe ge..,,
    Sir.. mai apse ye puch rha hu ki Mahabharat mai jo v insan hai we bharata ka son hai boliye sir..,,

  9. paresh Barai says

    March 31, 2017 at 12:12 pm

    बहुत ही अच्छी जानकारी प्रदान की है, nice work

  10. Surendra Mahara says

    October 20, 2016 at 7:44 am

    dhanyvad amul ji.

  11. Surendra Mahara says

    October 20, 2016 at 7:43 am

    dhaynvad prnav ji.

  12. प्रणव भारद्वाज says

    October 19, 2016 at 7:22 pm

    bhai ji aaj ki nau jawaan peedhi ko itihaas ka parichay karwane ke liye aapka bahut bahut dhanyabaad

  13. Amul Sharma says

    October 17, 2016 at 7:30 pm

    wah! Bachpan ki yaad aa gayi……yeh kahani mene bahut pehle suni thi……shayad course me thi……kahani acchi hai……thanks for sharing…….

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