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आखिर क्षमा मांगना क्यों है जरुरी ?

April 17, 2016 By Surendra Mahara 7 Comments

डॉ. राजेंद्र प्रसाद और सेवक से क्षमा प्रेरक – प्रसंग

Table of Contents

  • डॉ. राजेंद्र प्रसाद और सेवक से क्षमा प्रेरक – प्रसंग
  • भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को किसी ने पत्थर का बना सुंदर फाउनटेन पेन भेंट किया. उनका उस फाउनटेन पेन से बहुत लगाव हो गया था. वह अपना लेखन कार्य उसी पेन से करते थे. काम समाप्ति के बाद स्वयं उसे संभाल कर मेज पर रख देते थे.
  • एक दिन उनके ऑफिस का प्रमुख सेवक उनकी मेज की सफाई कर रहा था. सफाई करते समय अचानक उससे वह पेन नीचे गिर गया और टूट गया. स्याही के कुछ छींटे कमरे में बिछे कालीन और महामहिम राष्ट्रपति जी के कपड़ो पर जा गिरे. राष्ट्रपति जी को उसकी लापरवाही पर क्रोध आ गया और उसको डांटते हुए अपने निजी कार्य से हटा कर दूसरी जगह भेज दिया.
  • सेवक चला तो गया, किन्तु राजेन्द्र प्रसाद जी बैचैन हो उठे. अन्दर ही अन्दर उनका मन उन्हें बुरा-भला कहने लगा. वे उदास हो गये. इसी बीच कई मिलने वाले लोग आये. किन्तु उनकी उदासी दूर नहीं हुई. उन्हें अपने सेवक से बुरा – भला कहने पर बड़ी ग्लानी हो रही थी. सेवक से अनजाने में हुई गलती के कारण उसे डांटना उन्हें उचित नहीं लगा. वे उससे क्षमा माँगना चाहते थे.
  • दुसरे दिन उन्होंने सेवक को बुलाया और उससे क्षमा याचना करने लगे. भारत का राष्ट्रपति एक सेवक से क्षमा मांगे, यह देखकर सेवक श्रद्धा से उनके चरणों में झुक गया. उनकी आँखे भर आई. उन्होंने उसी दिन उस सेवक को फिर से निजी कार्य पर रख लिया.
  • दोस्तों, जिंदगी में हम लोग भी कई बार छोटी-छोटी बातो पर गुस्सा हो जाते है और दुसरे की थोड़ी सी गलती करने पर उससे उलझने लगते है और क्रोधित हो जाते है पर क्या ऐसा करना उचित है. सत्य तो यह है की क्रोध हमेशा ही हमारा स्वयं का ही नुकसान करता है और इससे समस्या का समाधान नहीं निकलता है.
  • राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के जीवन की यह कहानी हमें सीख दे जाती है की एक उच्च चरित्र का आदमी स्वयं की गलती होने पर माफ़ी मांगने से भी नहीं कतराता. इसलिए अपने जीवन में कभी भी छोटी-छोटी बातो को लेकर गुस्सा न करे और जीवन को प्रसन्नता से जिए.
  • जरुर पढ़े : डॉ राजेंद्र प्रसाद की जीवनी 
  • मुझे उम्मीद है की आपको ये कहानी जरूर पसंद आई होगी ।
  • निवेदन – आपको kshama maangna jaruri kyon hai Hindi prerak kahani यह कहानी कैसी लगी हमे अपने कमेन्ट के माध्यम से जरूर बताये क्योंकि आपका एक Comment हमें और बेहतर लिखने के लिए प्रोत्साहित करेगा .
  • # हमारे Facebook Page पर हमसे जुड़े.

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को किसी ने पत्थर का बना सुंदर फाउनटेन पेन भेंट किया. उनका उस फाउनटेन पेन से बहुत लगाव हो गया था. वह अपना लेखन कार्य उसी पेन से करते थे. काम समाप्ति के बाद स्वयं उसे संभाल कर मेज पर रख देते थे.

क्षमा
Forgiveness

एक दिन उनके ऑफिस का प्रमुख सेवक उनकी मेज की सफाई कर रहा था. सफाई करते समय अचानक उससे वह पेन नीचे गिर गया और टूट गया. स्याही के कुछ छींटे कमरे में बिछे कालीन और महामहिम राष्ट्रपति जी के कपड़ो पर जा गिरे. राष्ट्रपति जी को उसकी लापरवाही पर क्रोध आ गया और उसको डांटते हुए अपने निजी कार्य से हटा कर दूसरी जगह भेज दिया.

सेवक चला तो गया, किन्तु राजेन्द्र प्रसाद जी बैचैन हो उठे. अन्दर ही अन्दर उनका मन उन्हें बुरा-भला कहने लगा. वे उदास हो गये. इसी बीच कई मिलने वाले लोग आये. किन्तु उनकी उदासी दूर नहीं हुई. उन्हें अपने सेवक से बुरा – भला कहने पर बड़ी ग्लानी हो रही थी. सेवक से अनजाने में हुई गलती के कारण उसे डांटना उन्हें उचित नहीं लगा. वे उससे क्षमा माँगना चाहते थे.

दुसरे दिन उन्होंने सेवक को बुलाया और उससे क्षमा याचना करने लगे. भारत का राष्ट्रपति एक सेवक से क्षमा मांगे, यह देखकर सेवक श्रद्धा से उनके चरणों में झुक गया. उनकी आँखे भर आई. उन्होंने उसी दिन उस सेवक को फिर से निजी कार्य पर रख लिया.

दोस्तों, जिंदगी में हम लोग भी कई बार छोटी-छोटी बातो पर गुस्सा हो जाते है और दुसरे की थोड़ी सी गलती करने पर उससे उलझने लगते है और क्रोधित हो जाते है पर क्या ऐसा करना उचित है. सत्य तो यह है की क्रोध हमेशा ही हमारा स्वयं का ही नुकसान करता है और इससे समस्या का समाधान नहीं निकलता है.

राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के जीवन की यह कहानी हमें सीख दे जाती है की एक उच्च चरित्र का आदमी स्वयं की गलती होने पर माफ़ी मांगने से भी नहीं कतराता. इसलिए अपने जीवन में कभी भी छोटी-छोटी बातो को लेकर गुस्सा न करे और जीवन को प्रसन्नता से जिए.

जरुर पढ़े : डॉ राजेंद्र प्रसाद की जीवनी 

मुझे उम्मीद है की आपको ये कहानी जरूर पसंद आई होगी ।

 
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निवेदन – आपको kshama maangna jaruri kyon hai Hindi prerak kahani यह कहानी कैसी लगी हमे अपने कमेन्ट के माध्यम से जरूर बताये क्योंकि आपका एक Comment हमें और बेहतर लिखने के लिए प्रोत्साहित करेगा .:)

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About Surendra Mahara

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Comments

  1. RAJ says

    July 12, 2017 at 6:58 am

    THANKS I AM VERY GAY YOU STORY VERYGOOD

  2. Surendra mahara says

    June 30, 2016 at 3:42 pm

    thankyou Nikhil ji.

  3. Nikhil Jain says

    June 30, 2016 at 4:32 am

    Bahut hi badhiya kahani

  4. Surendra mahara says

    April 20, 2016 at 9:29 am

    आपने बिल्कुल ठीक कहा जमशेद जी. आपका धन्यवाद, हमसे ऐसे ही जुड़े रहे.

  5. Surendra mahara says

    April 20, 2016 at 9:27 am

    बिल्कुल सही कहा आपने. आपकी सोच काफ़ी अच्छी है संदीप जी.

  6. जमशेद आजमी says

    April 19, 2016 at 6:13 pm

    बहुत ही सुंदर और प्रेरक लेख की प्रस्तुति। सच में गलती करने पर हमें क्षमा मांगने में संकोच नहीं करना चाहिए। साथ ही सबसे जरूरी बात, यदि कोई क्षमा मांगे तो उसे भी दिल बड़ा करके क्षमा कर देना चाहिए।

  7. Sandeep Negi says

    April 17, 2016 at 11:40 pm

    Dil ko chhoo gayi hai apki yah story. Mujhe aisi stories bahut hi jyada pasand hain kyunki main bhi sab logo ko ek hi nazar se dekhne ki koshish karta hun. Chahe wah ameer ho ya gareeb.

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