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महान संगीतज्ञ मिंया तानसेन की जीवनी !

March 4, 2016 By Surendra Mahara 1 Comment

मिंया तानसेन का सम्पूर्ण इतिहास Tansen Life Esaay Biography In Hindi

Tansen Life Esaay Biography In Hindi

घनी झाड़ियो में शेर की दहाड़ सुनकर स्वामी हरिदास की शिष्य मंडली भयभीत हो उठी. लोग सावधान हो ही रहे थे कि झाड़ियो के बीच से 10 वर्ष का एक बालक हँसता हुआ बाहर निकला. स्वामी हरिदास ने समझ लिया कि यही बालक शेर की दहाड़ की नक़ल कर रहा था.

स्वामी हरिदास संगीतज्ञ थे. वे जान गये कि इस बालक में अद्भुत क्षमता विद्यमान है. उन्होंने उसे बुलाकर स्नेह से पूछा –

‘ बेटा तुम्हारा नाम क्या है ?

‘तन्ना मिश्र’

तुम्हारे पिता का नाम क्या है ?

‘मकरन्द मिश्र ‘

तुम कहा रहते हो ?

वहां, बालक ने अपने गांव की ओर इशारा किया.

स्वामी हरिदास तन्ना के घर गये. उन्होंने तन्ना को शिक्षा देने के लिए उसके पिता से मांग लिया. उसे लेकर स्वामी हरिदास जी वृन्दावन चले गये. उन्होंने उसे 10 वर्ष तक संगीत की शिक्षा दी. संगीत के विभिन्न राग – रागनियों में पारंगत होने के बाद तन्ना मिश्र बाद में ‘तानसेन‘ नाम से विख्यात हुए.

तानसेन का जन्म सन् 1486 में हुआ था. जिनका नाम तब तन्ना पड़ा था. संगीत का और ज्ञान अर्जित करने के लिए उन्हें स्वामी जी ने हजरत मुहम्मद गौस के पास ग्वालियर भेज दिया.

मिंया तानसेन

        मिंया तानसेन

संगीत सम्राट मिंया तानसेन के जीवन पर निबंध Tansen Life Esaay Biography In Hindi

संगीत का पर्याप्त ज्ञान अर्जित करने के बाद तानसेन पुनः स्वामी हरिदास के पास मथुरा लौट आये. यहाँ उन्होंने स्वामी जी से ‘नाद’ विद्या सीखी.

अब तक तानसेन को संगीत में अद्भुत सफलता मिल चुकी थी. इनके संगीत से प्रभावित होकर रीवां – नरेश ने इन्हें अपने दरबार का मुख्य गायक बना दिया. रीवां – नरेश के यहाँ अकबर को तानसेन का संगीत सुनने का अवसर मिला.

वह इनके संगीत को सुनकर भाव – विभोर हो उठा. उसने रीवा – नरेश से आग्रह कर तानसेन को अपने दरबार में बुला लिया. इनके संगीत से प्रभावित होकर अकबर ने इन्हें अपने नवरत्नों में स्थान दिया. तानसेन के विषय में अनेक किंवदन्तियाँ प्रचलित है कहा जाता है की इनके गायन के समय राग – रागिनियाँ साक्षात् प्रकट हो जाती थी.

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एक बार बादशाह अकबर ने तानसेन से ‘दीपक राग’ गाने का हठ किया. निश्चित समय पर इन्होने दरबार में दीपक राग गाना शुरू किया. ज्यो – ज्यो आलाप बढ़ने लगा गायक और श्रोता पसीने से तर होने लगे. गाने का अंत होते – होते दरबार में रखे दीपक स्वयं जल उठे और चारो ओर अग्नि की लपटें दिखाई देने लगी.

दरबारियों में हाहाकार मच गया और वे इधर – उधर भागने लगे. कहा जाता है की तानसेन की पुत्री सरस्वती ने मेघ मल्हार राग गाकर अग्नि का शमन किया और लोगो की प्राणरक्षा की.

Tansen के जीवन से ऐसी अनेक चमत्कारपूर्ण घटनाएँ जुड़ी है, जैसे संगीत के प्रभाव से पानी बरसाना, वन्य पशुओ को सम्मोहित करना तथा असाध्य रोगों को ठीक करना आदि.

तानसेन की सफलता का मूल आधार है उनकी कार्य के प्रति निष्ठा तथा निरंतर कठिन अभ्यास की आदत. इन्ही गुणों के कारण वे महान संगीतज्ञ बनने में सफल हुए.

अकबर के आदेश से एक बार आगरा के समीप वन में संगीत प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. तानसेन का सामना करने के लिए साधुवेश में एक व्यक्ति आया. प्रतियोगिता आरम्भ हुई. तानसेन की स्वर लहरी से मुग्ध मृगो का समूह उनके पास आया.

उन्होंने एक मृग के गले में अपनी माला डाल दी. संगीत समाप्त होने पर मृग जंगल में भाग गये. अब उस साधू वेशधारी की बारी थी. उसने ‘मृगरंजनी’ राग गाकर उस मृग को बुला लिया जिसके गले में तानसेन की माला पड़ी थी.

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यह देखकर सभी लोग आश्चर्यचकित हो गये. उस गायक ने अकबर से पूछा- मेरा दूसरा आलाप शुरू होते ही यह सामने का पत्थर माँ जैसा पिघलने लगेगा.

तब मैं अपना तान पूरा उसमे गाड़ दूंगा. गाना समाप्त होते ही पत्थर पुनः जम जायेगा. मेरी शर्त यह है की बिना पत्थर तोड़े – फोड़े ही तानसेन मेरा तान पूरा बाहर निकाल दे. मैं पराजय स्वीकार कर लूँगा.

गायक ने जैसे ही राग का आलाप लेना आरम्भ किया, पत्थर सचमुच पिघलने लगा. ऐसी अनहोनी देखकर तानसेन नतमस्तक हो गये. वे समझ गये कि वह गायक अन्य कोई नहीं बल्कि उनका गुरुभाई बैजनाथ (बैजू बावरा) है. उन्होंने उठकर उसे गले लगा लिया.

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तानसेन संगीत की दुनिया के सम्राट माने जाते है. दरबारी, तोड़ी, मियां की मल्हार, मियां की सारंग आदि अनेक राग – रागनियो की रचना तानसेन ने ही की थी.

सन 1589 ई. में इस महान गायक का स्वर्गवास हो गया. ग्वालियर में इनकी समाधि बनी है. इस समाधि पर प्रतिवर्ष संगीत समारोह होता है जिसमे संगीतज्ञ आकर अपने श्रद्धा सुमन चढ़ाते है.

तानसेन जी के जीवन से हमें यह सन्देश मिलता है कि कठोर परिश्रम एवं लगन से व्यक्ति निश्चय ही उन्नति के शिखरों पर चढ़ सकता है.

मुझे उम्मीद है की आपको ये Article जरूर पसंद आया होगा.

धन्यवाद !

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Comments

  1. Himanshu rai says

    March 31, 2018 at 7:48 am

    Your information is good but not full

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