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महान समाज सुधारक ईश्वरचंद्र विद्यासागर की जीवनी !

January 7, 2016 By Surendra Mahara 11 Comments

Ishwar Chandra Vidyasagar Biography in Hindi

बंगाल में लडकियों को स्कूल ले जाने वाली गाड़ी, पालकियो तथा शिक्षण संस्थाओ की दीवारों पर मनुस्मृति का एक श्लोक लिखा रहता था. जिसका अर्थ था- बालिकाओ को बालको के समान शिक्षा पाने का पूरा अधिकार है. बंगाल में बालिकाओ की शिक्षाओ को प्रोत्साहन देना का महत्वपूर्ण कार्य ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने किया.

इन्होने अपने समय में अनेक क्षेत्रो में सुधार किये. जिसमे- शैक्षिक सुधार, सामाजिक सुधार, महिलाओ की स्थिति में सुधार शामिल है. ईश्वरचंद्र विद्यासागर का जन्म 16 सितम्बर सन 1820 में वीरसिंह नामक गांव में हुआ था.

Ishwar Chandra Vidyasagar ईश्वरचंद्र विद्यासागर

       ईश्वरचंद्र विद्यासागर

ईश्वरचंद्र विद्यासागर के जीवन पर निबंध

इनकी माता बहुत अच्छे विचारो की थी जिनका नाम भगवती देवी था. सभी का सम्मान करना, अपना काम स्वयं करना यह शिक्षा उन्हें अपनी माता से मिली थी. इनके पिता का नाम ठाकुरदास बन्दोप्ध्याया था.

ईश्वरचंद्र विद्यासागर की प्रारम्भिक शिक्षा गांव के ही विद्यालय से ही हुई थी. उच्च शिक्षा के लिए कलकत्ता के संस्कृत विद्यालय में गये. संस्कृत की शिक्षा के साथ-साथ वे अंग्रेजी की शिक्षा भी प्राप्त करते रहे. सन 1839 में लौ कमिटी की परीक्षा उत्तीर्ण करने पर उन्हें विद्यासागर की उपाधि मिली.

इनके अलावा न्यायदर्शन की परीक्षा उत्तीर्ण करने पर सौ रूपये तथा संस्कृत काव्य रचना पर सौ रूपये का नगद पुरुस्कार दिया गया. ईश्वरचंद्र विद्यासागर का हस्तलेख बहुत अच्छा था. इसलिए उन्हें मासिक छात्रवृति भी मिलती थी.

गुरुदेव रविंद्रनाथ ठाकुर ने ईश्वरचंद्र विद्यासागर को आधुनिक बंगाल काव्य का जनक माना है.

ईश्वरचंद्र विद्यासागर स्कूलों के सहायक निरीक्षक के पद पर नियुक्त हुए. तब उन्होंने शिक्षा की बहुत सी बातो का सुधार किया. उन्होंने बंगाल के सभी जिलो में ही बीस ऐसे आदर्श विद्यालय खोले जिसमे विशुद्ध भारतीय शिक्षा दी जाती थी.

उन दिनों संस्कृत कालेजो में केवल उच्च जाति के लोगो को ही परिवेश दिया जाता था. ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने इसका कड़ा विरोध किया. उनका कहना था की हर जाति के हर व्यक्ति को हर प्रकार की शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है.

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ईश्वरचंद्र विद्यासागर जानते थे की बालिकाओ की शिक्षा से ही समाज में फैली रूढ़िवादिता, अन्धविश्वास और कुरुतियाँ दूर की जा सकती है.

देश को समृद्ध , समर्थ और योग्य नागरिक प्रदान करने के लिए बालिकाओ की शिक्षा जरुरी है. उन्होंने बंगाल में ऐसे 35 स्कूल खोले जिसमे बालिकाओ की शिक्षा का प्रबंध था. वे बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए मेहनती और मेधावी छात्रो को पुरुस्कार भी दिया करते थे. उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से सबसे पहले एम. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली चंद्रमुखी बोस को पुरुस्कार दिया था.

ईश्वरचंद्र विद्यासागर ब्रह्म समाज नामक संस्था के सदस्य थे. स्त्री की शिक्षा के साथ-साथ उन्होंने विधवा विवाह और विधवाओ की दशा सुधारने का काम भी किया. इसके लिए ईश्वरचंद्र विद्यासागर को बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.

अंत में विधवा विवाह को क़ानूनी स्वीकृति प्राप्त हो गयी. सुधारवादी विचारधाराओ का जनता के बीच प्रचार करने के लिए ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने अंग्रेजी व बंगला में पत्र निकाले. ईश्वरचंद्र विद्यासागर का कहना था की कोई भी व्यक्ति अच्छे कपडे पहनने, अच्छे मकान में रहने तथा अच्छा खाने से ही बड़ा नहीं होता बल्कि अच्छे काम करने से बड़ा होता है.

एक बार ईश्वरचंद्र विद्यासागर गाड़ी में कलकत्ता से वर्दमान आ रहे थे उसी गाड़ी में एक नवयुवक बहुत अच्छे कपडे पहने बैठा था. उसे भी वर्दमान आना था. स्टेशन पर गाड़ी पहुंची नवयुवक ने अपना सामान ले चलने के लिए कुली को पुकारा. स्टेशन पर उस समय कोई कूली नहीं था. ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने उससे कहा की यहाँ कोई कूली नहीं है. आप परेशान न हो,आपका सामान में ले चलता हूँ. नवयुवक खुश हो गया. उसने कहाँ मैं तुम्हे पूरी मजदूरी दूंगा. घर पहुंचकर वह नवयुवक ईश्वरचंद्र विद्यासागर को पैसे देने लगा. उन्होंने पैसे नहीं लिए.

अगले दिन वर्दमान में ईश्वरचंद्र विद्यासागर के स्वागत के लिए बहुत से लोग एकत्र हुए. वह नवयुवक भी वहां आया. उसने देखा की यह तो वहीँ व्यक्ति है जो कल मेरा सामान लेकर आया था. नवयुवक को बड़ा आश्चर्य हुआ और लज्जित भी हुआ. जब सभा समाप्त हुई तब वह ईश्वरचंद्र विद्यासागर के घर गया और पैरो पर गिरकर क्षमा मांगी. ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने समझाया की अपना काम स्वयं करना चाहिए.

ईश्वरचंद्र विद्यासागर 19वी शताब्दी के महान विभूति थे. उनकी मृत्यु 62 वर्ष की आयु में संवत 1948 में हुई. उन्होंने अपने समय में फैली अशिक्षा और रूढ़िवादिता को दूर करने का संकल्प लिया. अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए भी उन्होंने शैक्षिक, सामाजिक और महिलाओ की स्थिति में में जो सुधार किये उसके लिए हमारे देशवासी उन्हें सदैव याद करेंगे.

ऐसे महान समाज-सुधारक को हमारा शत-शत नमन.

मुझे उम्मीद है की आपको ये Article जरूर पसंद आया होगा.

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निवेदन- आपको all information about Ishwar Chandra Vidyasagar in hindi ये आर्टिकल कैसा लगा हमे अपने कमेन्ट के माध्यम से जरूर बताये क्योंकि आपका एक Comment हमें और बेहतर लिखने के लिए प्रोत्साहित करेगा.

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About Surendra Mahara

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Comments

  1. Rohit kumar Singh says

    May 20, 2018 at 2:04 pm

    Bahut hi Acha laga padh kar iswar chandra vidyasagar ke biography.. Thank you

  2. Suman shaw says

    April 17, 2018 at 7:59 pm

    Bahut aacha laga..Iswar Chandra vidhayasagar k bare me padh k…i really like It… Thanks

  3. Danish Khan says

    September 27, 2017 at 9:35 am

    Acha laga ishwar chander vidaya Sagar

  4. Surendra Mahara says

    August 13, 2017 at 9:31 am

    you can buy this book here : https://www.amazon.in/Ishwarchandra-Vidyasagar-Great-Personalities-India-ebook/dp/B014QJ8X6S/ref=as_sl_pc_qf_sp_asin_til?tag=nayichetana-21&linkCode=w00&linkId=1bcc6a4bb4e1a5d5653ad63efc402288&creativeASIN=B014QJ8X6S

  5. Dayanand Choudhary says

    July 12, 2017 at 11:04 am

    I came to know the brief life story of Shri Ishwarchandra Vidyasagar.we should take lesson from his life .

  6. Dayanand Choudhary says

    July 6, 2017 at 2:48 am

    Where can I get a Hindi book about Ishwarchandra Vidyasagar

  7. Ishwar chandra vidya sagar gupta says

    July 2, 2017 at 11:15 am

    Mera bhi naam isi mahapurush ke naam pr hai. Bahut hi sundar lga jivani padh le.

  8. kamal says

    March 30, 2017 at 1:25 am

    Bahot sunder

  9. gayatri gorai says

    January 31, 2017 at 10:47 am

    very nice person in our life. he was our life real guru.

  10. Surendra Mahara says

    November 4, 2016 at 7:46 am

    Thanks kriti.

  11. Kriti chopra says

    November 3, 2016 at 10:00 pm

    Very nice & thanks

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