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स्वामी विवेकानंद का विश्वप्रसिद्ध शिकागो भाषण !

November 24, 2015 By Surendra Mahara 8 Comments

स्वामी विवेकानंद का विश्वप्रसिद्ध शिकागो भाषण – Swami Vivekananda Chicago Speech in Hindi

Table of Contents

दोस्तों ! आज हम आपके साथ स्वामी विवेकानन्द जी की Chicago में दिए गये विश्व प्रसिद्ध भाषण को आपके साथ शेयर कर रहे है. दोस्तों जब मैं स्कूल में पढता था तो छोटी कक्षाओ से ही मुझे स्वामी विवेकानन्द के बारे में पढने और सुनने को मिला तो हर बार जब भी स्वामी विवेकानन्द की बात आती तो उनके शिकागो भाषण की हमेशा चर्चा होती थी तो मेरे दिमाग में तब से यह बात बैठ गयी थी की आखिर स्वामी जी का वह भाषण आखिर था क्या.

मैंने उनका यह भाषण बहुत ढूढ़ने की कोशिश की लेकिन मुझे यह भाषण कही नहीं मिला क्योंकि तब उन दिनों मेरे पास इन्टरनेट नहीं था और उनके बारे में मैंने जो किताबे खरीदी थी उनमे स्वामी विवेकानन्द जी के शिकागो भाषण के बारे में कुछ भी नहीं था.इसलिए जब मैंने ब्लोगिंग की शुरुआत की तो मैंने सोच लिया था की स्वामी विवेकानन्द के भाषण की पोस्ट जरुर डालूँगा जो मैं आज इसे पोस्ट कर रहा हूँ.

स्वामी विवेकानन्द ने यह speech सन 1893 में शिकागो के एक धर्म-सम्मेलन में दिया था जिसने स्वामी विवेकानन्द और भारत के नाम का प्रकाश पूरी दुनिया में फैला दिया.

Swami Vivekananda Chicago Speech in Hindi

स्वामी विवेकानन्द शिकागो,सितम्बर 11 ,1893

स्वामी विवेकानंद , Swami-Vivekananda-

Swami Vivekananda

मेरे अमरीकी भाइयो और बहनों !

आपने जिस हर्ष-उल्लास और स्नेह के साथ हमारा यहाँ स्वागत किया हैं उसके प्रति आभार प्रकट करने के लिए मेरा हृदय अपार हर्ष से भर गया हैं. दुनिया में साधू-संतो की सबसे प्राचीन परम्परा की ओर से मैं आपको धन्यवाद देता हूँ, मैं आपको सभी धर्मों की माता की ओर से धन्यवाद देता हूँ और सभी जाति-सम्प्रदायों के लाखो-करोड़ो हिन्दुओं की ओर से भी आपको धन्यवाद देता हूँ.

मैं इस मंच पर से बोलने वाले उन महान वक्ताओं के प्रति भी धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने इस बात का उल्लेख किया और आपको यह बतलाया कि सहिष्णुता का विचार पूरे विश्व में पूरब के देशो से फैला है.

मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूँ जिसने दुनिया को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृत दोनों की ही शिक्षा हम सब को दी हैं, हम लोग सभी धर्मों के प्रति ही केवल सहनशीलता में ही विश्वास नहीं करते बल्कि सारे धर्मों को सत्य मान कर स्वीकार करते हैं.

मुझे एक ऐसे देश का व्यक्ति होने पर गर्व है जिसने इस धरती के सभी धर्मों और देशों के पीड़ितों और शरणार्थियों को शरण दी है. मुझे यह बताते हुए भी गर्व होता हैं कि हमने अपने ह्रदय में उन यहूदियों के शुद्ध स्मृतियाँ को स्थान दिया था जिन्होंने भारत आकर उसी वर्ष शरण ली थी जिस वर्ष उनका पवित्र मन्दिर रोमन जाति ने तोड़-तोड़ खंडहर में मिला दिया था.

मुझे गर्व है की में एक ऐसे धर्म से हूँ जिसने महान पारसी देश के अवशिष्ट अंश को शरण दी और अभी भी उसको बढ़ावा दे रहा है. भाईयो मैं आप लोगों को एक श्लोक की कुछ पंक्तियाँ सुनाता हूँ जिसे मैंने बचपन से स्मरण किया है और अभी भी कर रहा हूँ और जिसे प्रतिदिन लाखों-करोड़ो लोगो द्वारा दोहराया जाता है.

संस्कृत श्लोक-:
“रुचीनां वैचित्र्यादृजुकुटिलनानापथजुषाम् ।
नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसामर्णव इव”।।

हिन्दी अनुवाद-:
जैसे विभिन्न नदियाँ अलग-अलग स्रोतों से निकलकर समुद्र में मिल जाती हैं ठीक उसी प्रकार से अलग-अलग रुचि के अनुसार विभिन्न टेढ़े-मेढ़े अथवा सीधे रास्ते से जाने वाले लोग अन्त में भगवान में ही आकर मिल जाते हैं. यह सभा जो अभी तक की सर्वश्रेष्ठ पवित्र सम्मेलनों में से एक है, स्वतः ही गीता के इस अदभुत उपदेश का प्रतिपादन एवं जगत के प्रति उसकी घोषणा करती है.

संस्कृत श्लोक-:

“ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।
मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः”।।

हिन्दी अनुवाद-:
जो कोई मेरी ओर आता है वह चाहे किसी प्रकार से हो,मैं उसको प्राप्त होता हूँ. लोग अलग-अलग रास्तो द्वारा प्रयत्न करते हुए अन्त में मेरी ही ओर आते हैं.

साम्प्रदायिकता, हठधर्मिता और उनकी वीभत्स वंशधर धर्मान्धता इस सुन्दर पृथ्वी पर बहुत समय तक राज्य कर चुकी हैं. वे इस धरती को हिंसा से भरती रही हैं व उसको बारम्बार मानवता के खून से नहलाती रही हैं और कई सभ्यताओं का नाश करती हुई पूरे के पूरे देशों को निराशा के गर्त में डालती रही हैं.

यदि ये दानवी शक्तियाँ न होतीं तो मानव समाज आज की स्थिति से कहीं अधिक विकसित हो गया होता पर अब उनका समय आ गया हैं और मैं आन्तरिक रूप से यह उम्मीद करता हूँ कि आज सुबह इस सभा के सम्मान में जो घण्टा ध्वनि हुई है वह समस्त धर्मान्धता का, तलवार या लेखनी के द्वारा होने वाले सभी अत्याचारों का तथा एक ही लक्ष्य की ओर अग्रसर होने वाले मानवों की पारस्पारिक कटुता की मृत्यु करने वाला साबित होगा.

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Comments

  1. hem sanwal says

    August 27, 2020 at 1:39 pm

    sarahniy pryas, lekin yah pura nsahi hsai nswami ji ne panch din bhasan diye,jinhe sun kar lagta hai aj jo farji hiduwadi dharm ke nam par nafrat fela rahe hai,vo swamiji ke vipreet achran he

  2. govind says

    January 18, 2018 at 9:15 pm

    Unhone zero pr jo bhasan diya vo post kijiye

  3. nidhi gupta says

    January 15, 2018 at 6:59 pm

    Only i wanna know swamii jiii speech on zero… i will be thankful if u provide it…

  4. j b t says

    September 15, 2017 at 9:40 pm

    प्रणाम भगवान..

  5. govind says

    August 8, 2017 at 1:59 pm

    bhut abhutpurva
    feel karaya

  6. Pranav says

    July 20, 2017 at 10:56 pm

    I like it very much.

  7. meenketan sahu says

    April 8, 2017 at 10:17 am

    Thanks you bhy ,mujhe v eski talas thi

  8. सरल says

    September 4, 2016 at 6:18 pm

    बहुत अच्छा है।

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