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जमशेदजी टाटा की प्रेरणादायक जीवनी

November 17, 2015 By Surendra Mahara 3 Comments

जमशेदजी टाटा की प्रेरणादायक जीवनी Jamsetji Tata life Essay in hindi

Jamsetji Tata life Essay in hindi

स्कॉटलैंड के प्रसिद्ध लेखक कारलाइल (Carlyle) ने अपने एक भाषण में कहा था- ” जिस देश का लोहे पर नियंत्रण हो जाता है उसका शीघ्र ही सोने पर नियंत्रण हो जाता है”. मेनचेस्टर (लन्दन) में दिए उनके इस भाषण (Speech) को सुनकर एक नवयुवक बहुत प्रभावित हुआ.

उसने अपने व्यापार को एक नयी दिशा दी और आगे चलकर भारत के औद्योगिक विकास (industrial development) की एक महत्वपूर्ण कड़ी बन गया. इस नवयुवक का नाम जमशेदजी नसरवान जी टाटा (Jamshed Ji Nasarwan Ji Tata Documentary Hindi) था.

जमशेदजी टाटा (Jamsetji Tata) का जन्म गुजरात के एक पारसी परिवार में 3 मार्च 1836 को हुआ था. उनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर हुई बाद में इनके पिता इन्हें मुंबई ले गये.

उस समय उनकी आयु 13 वर्ष की थी. वहां पहले स्थानीय पुरोहितो से पढ़ा और आगे की पढाई ‘एलिफ्स्टन कॉलेज’ से पूरी की. कॉलेज के अध्ययन के दौरान ही इनका विवाह ‘हीराबाई’ से कर दिया गया. सन 1856 में उनके पुत्र दोराब जी क जन्म हुआ.

 Jamsetji Tata

     Jamsetji Tata

Jamsetji Tata life Essay in hindi

जमशेद जी ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद एक वकील के साथ काम करना आरम्भ किया. किन्तु उसमे उनका मन नहीं लगा. उन्होंने वकील का दफ्तर छोड़कर अपने पिता के व्यवसाय में हाथ बंटाना उचित समझा.

व्यवसाय में उन्हें बहुत रुचि थी. अतः वे सफल व्यवसायी बनने के गुर शीघ्र ही सीख गये. उन्होंने व्यापार की बारीकियो को समझा. व्यापार के प्रति बेटे की लगन और कर्मठता को देखकर नसरवान जी बहुत प्रसन्न हुए.

अब वे अपना व्यवसाय भारत से बाहर फैलाना चाहते थे. इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने जमशेद जी को चीन भेजा. जमशेद जी ने हांगकांग और शंघाई जैसे बड़े नगरो में अपने व्यापार की शाखाएं खोली. उन्होंने चीन में रहकर वहां की अर्थव्यवस्था का भी अध्ययन किया.

अपने व्यापार को विस्तार देने की कड़ी में वे लन्दन भी गये. उस समय उनकी उम्र 25 वर्ष थी.उन्होंने लन्दन में सूती वस्त्र उद्योग पर अधिक ध्यान दिया. इस सम्बन्ध में उन्होंने लंकाशायर और मेनचेस्टर नगरो की यात्रायें की. यह नगर वस्त्र उद्योग के लिए प्रसिद्ध है. यहाँ वे चार वर्ष तक वस्त्र उद्योग से सम्बन्धित समस्याओ क अध्ययन करते रहे.

स्वदेश लौटने पर उन्होंने पाया की उनके पिता का व्यवसाय अच्छी स्थिति में नहीं है. उनकी फर्म पर बाजार के कर्ज बढ़ते जा रहे थे. बाजार में उनकी साख गिर रही थी. इस कठिन समय में पिता और पुत्र ने अपनी योग्यता और सूझबूझ का परिचय देते हुए एक कठिन परन्तु सही निर्णय लिया.

उन्होंने अपना मकान व कुछ निजी सम्पत्ति बेचकर कर्जो की अदायगी कर दी. इससे एक तो व्यापारियों का विश्वास उनकी फर्म में बढ़ गया और दूसरा भावी प्रगति के द्वार भी खुल गये.उन दिनों हमारे देश में कपडे की मिलें कम थी. जो मिलें थी भी उनमे कपडे तैयार होते थे.

जमशेद जी भारत में लंकाशायर और मेनचेस्टर जैसी उन्नत किस्म की मिलें स्थापित करना चाहते थे. उन्होंने इंग्लैंड जाकर भारत द्वारा निर्यात की जाने वाली कपास की सफाई, कटाई , बुनाई का कार्य देखा.

उन्होंने पाया की सस्ते पर खरीदी गयी भारतीय कपास से बने मिलों के कपडे भारत में बहुत ऊँचे दामो पर बेचे जाते है. इस बात से उन्हें बहुत दुःख हुआ. जमशेद जी ने दृढ़ निश्चय किया कि वे ऐसी मिलें भारत में भी खोलेंगे.

जनवरी 1877 में नागपुर में ‘इम्प्रेस मिल’ नाम की सूती मिल खोली. आरम्भ में जमशेद जी को अनेक कठिनाइयो का सामना करना पड़ा. वे बिना घबराये, धैर्य व निष्ठा के साथ अपने कार्य में लगे रहे. उन्होंने अपने कारखानों में नयी तकनीको और नयी मशीनों का प्रयोग किया. उद्योग स्थापना के मूल में स्वदेशी वस्तुओ के अधिक से अधिक प्रयोग की भावना काम कर रही थी.

जमशेद जी भारतीय खनिज संपदा और पूँजी का उपयोग भारत में ही करने के पक्षधर थे. ”स्वदेशी मिल लिमिटेड” नमक मिल की स्थापना के पीछे भी यही देश प्रेम की भावना काम कर रही थी.वे भारतीय उद्योग को विश्व व्यापार में सम्मानित स्थान दिलाना चाहते थे.

नागपुर कपडा मिल की स्थापना के मात्र तीन वर्ष बाद ही सन 1880 में जमशेद जी के मन में इस्पात उद्योग की अभिलाषा उत्पन्न हुई. परन्तु अंग्रेज सरकार से इतने बड़े उद्योग को स्वीकृत कराना आसान नहीं था.

इसके लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा. अंततः कई वर्षो बाद उन्हें सरकार की तरफ से अनुमति मिल गयी.अभी भूगर्भ विशेषज्ञों द्वारा खनिज सर्वेक्षण का कार्य चल ही रहा था की जमशेद जी का देहांत हो गया.

जमशेद जी के बाद उनके बेटे दोराब जी टाटा व रतन जी टाटा ने अपने पिता के अधूरे सपनो को पूरा किया.सन 1911 में लोहा और इस्पात के कारखाने की स्थापना के साथ ही टाटा का महान स्वप्न पूरा हुआ. बिहार में साकची गांव के घने जंगलो को साफ़ करके यह कारखाना ‘टाटा आयरन एंड स्टील मिल्स’ स्थापित की गई. अब यह क्षेत्र एक महानगर के रूप में बदल गया है.

जिसका नाम उन्ही के नाम पर जमशेदपुर रखा गया है.

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Comments

  1. Ram Kishore Bajpai says

    January 4, 2019 at 7:46 pm

    संक्षेप में बहुत कुछ कह दिया गया

  2. Surendra mahara says

    November 17, 2015 at 3:44 am

    THANKYOU JAGDISH JI

  3. jagdish mehta says

    November 17, 2015 at 3:32 am

    बहुत ही अच्छा आर्टिकल है सर.

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