मौलाना अबुल कलाम आजाद की प्रेरणादायक जीवनी Maulana Abul Kalam Azad Biography in Hindi
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Abul Kalam Azad |
अबुल कलाम आजाद के जीवन पर निबंध Maulana Abul Kalam Azad Biography in Hindi
भारत के प्रसिद्ध मुस्लिम विद्वान,कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवम्बर 1888 को मक्का नगर में हुआ.इनके पिता का नाम मौलाना खैरूद्दीन था वे अरबी के विद्वान थे और माता मदीना के मुफ़्ती की बेटी थी.
सन 1907 में मौलाना का परिवार कोलकाता आ गया. वे कुशाग्र बुद्धि के थे.इन्होने साहित्य, गणित और दर्शन का गहन अध्ययन किया.इन्हें शायरी और गद्य लेखन का शौक था.
12 वर्ष की उम्र में इन्होने ‘नैरंगे-आलम’ पहली पत्रिका निकाली. इसके बाद ‘लिसानुल सिदक’ दूसरा पत्र प्रकाशित किया.इस्लाम के लाहौर अधिवेशन में 15-16 वर्ष के मौलाना ने सधी और संयत भाषा में करीब ढाई घंटे तक भाषण दिया.इसके बाद इन्होने कई पत्रिकाओ का संपादन किया.
सन 1912 में इन्होने अपना प्रसिद्ध साप्ताहिक अख़बार ‘अलहिलाल’ निकाला जिसने लोगो में नयी जाग्रति की लहर पैदा कर दी. लेकिन सरकार के खिलाफ लिखने के जुर्म में इनको रांची (झारखंड) में 4 वर्ष तक जेल में कैद रहना पड़ा.
सन 1920 से ये महात्मा गाँधी के सम्पर्क में आये. राष्ट्रीय गतिविधियों में सक्रिय होने के कारण इन्हें कई बार जेल जाना पड़ा. इन्होने गांधीजी के असहयोग आन्दोलन को पूरा सहयोग दिया. इन्होने हिन्दू-मुस्लिम एकता, शांति, अनुशासन और बलिदान के लिए देशवासियों को आमंत्रित किया.
अबुल कलाम आजाद ने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए कार्य किया तथा वे अलग मुस्लिम राष्ट्र के सिद्धांत का विरोध करने वाले मुस्लिम नेताओ में से एक थे. खिलाफत आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही.
सन 1923 में इन्हें कांग्रेस के विशेष अधिवेशन का अध्यक्ष बनाया गया और वे भारतीय नेशनल काग्रेंस के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बने. वह फिर सन 1940 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने और स्वतंत्रता प्राप्ति के समय अंग्रेजो से हुई विभिन्न वार्ताओ में शामिल हुए.
अगस्त सन 1947 को भारत के स्वतंत्र होने पर इन्हें शिक्षा मंत्री बनाया गया.स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री रहे मौलाना ने 11 वर्षों तक देश की शिक्षा नीति का मार्गदर्शन किया. मौलाना आज़ाद को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.टी.आई) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का जनक माना जाता है.
मौलाना ने शिक्षा और संस्कृति को बढावा देने के लिए कई संस्थानों की स्थापना की जिसमे संगीत नाटक अकादमी (1953),साहित्य अकादमी (1954),ललितकला अकादमी (1954) शामिल हैं.
मौलाना ने शिक्षा,कला,संगीत और साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किये. उन्होंने प्रौढ़ शिक्षा और महिला शिक्षा पर अत्यधिक बल दिया. राष्ट्रीय एकता, धार्मिक सहिष्णुता और देशप्रेम का आदर्श प्रस्तुत करके यह यशस्वी और साहसी,साहित्यकार,पत्रकार और उच्चकोटि का राजनेता, 22 फ़रवरी 1958 को स्वर्ग सिधार गये.
इन्हें सन 1992 में मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
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