सरोजिनी नायडू की जीवनी Sarojini Naidu Biography in Hindi
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Sarojini Naidu Biography in Hindi
सरोजिनी नायडू का जन्म कब और कहाँ हुआ था –
सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu) का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ. सरोजिनी नायडू के माता पिता की बात की जाए तो इनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय (Aghorenath Chattopadhyay) प्रख्यात विद्वान थे और इनकी माँ बराडा सुंदरी देवी (Barada Sundari Devi) बांग्ला में एक कवयित्री थीं.
सरोजिनी को उनकी माता से ही कविता लेखन की प्रेरणा मिली. 12 वर्ष की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास करके इन्हें शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेजा गया. बचपन से ही पढने में काफी अच्छी होने के कारण उन्होंने 13 वर्ष की छोटी उम्र में ही लेडी आफ दी लेक (Lady Of The Lake) नाम की एक कविता लिखी.
इंग्लैंड में सरोजिनी के तीन कविता संग्रह प्रकाशित हुए – ‘द गोल्डन थ्रेश होल्ड’ (The Golden Threshold 1905) , ‘द ब्रोकेन विंग’ (The Broken Wing 1923) और ‘सेपटर्ड फ्लूट’ (Sceptred Flute 1928).
Sarojini Naidu Biography In Hindi
सरोजिनी नायडू बहुत ही मधुर स्वर में अपनी कविताओं का पाठ करती थी जिस कारण सरोजिनी नायडू को भारत कोकिला ( The Nightingale of India) कहा जाता था. सरोजिनी नायडू का उपनाम ” भारत कोकिला ” था.
सरोजिनी नायडू ने स्वतंत्रता आंदोलन में क्या काम किया –
इंग्लेंड से वापिस आने पर सरोजिनी का विवाह गोविंदराजुल नायडू से हो गया. सरोजिनी नायडू की भेंट गाँधी जी से हुई. वह गोपाल कृष्ण गोखले के कार्य से प्रभावित होकर कांग्रेस की प्रवक्ता बन गयी.
उन्होंने देश भर में घूमकर स्वतंत्रता का सन्देश फैलाया. सरोजिनी नायडू ने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर जोर दिया. उन्होंने इंग्लैंड, अमेरिका देशो का दौरा किया. गाँधी जी की दांडी यात्रा में वे उनके साथ थी.
उनके भाषण स्वतंत्रता की चेतना जगाने में जादू का कम करते थे. सरोजिनी नायडू बहुत सी भाषाओ को जानती थी जिस कारण ये जिस भी राज्य में जाति वहां की राज्य भाषा में ही वे अपना भाषण अंग्रेजी, हिंदी, बंगला या गुजराती में देती थीं वहीँ लंदन की एक सभा में अंग्रेजी में बोलकर वहां मौजूद सभी लोगो को अपना मुरीद बना दिया.
1942 में भारत छोडो आन्दोलन में उन्होंने भाग लिया. वे कई बार जेल गई. सरोजनी नायडू 1947 से 1949 तक भारत के स्वतंत्र होने पर उत्तर प्रदेश (संयुक्त प्रांत) की राज्यपाल बनी.
सरोजिनी नायडू ने नारी मुक्ति और नारी-शिक्षा आन्दोलन शुरू किया. नारी-विकास को ध्यान में रखकर ही वे अखिल भारतीय महिला परिषद् की सदस्य बनी. विजय लक्ष्मी पंडित, कमलादेवी चट्टोपाध्याय, लक्ष्मी मेनन, हंसाबेन मेहता आदि महिलाएं इस संस्था से जुडी थी.
सरोजिनी नायडू का व्यवहार बहुत सामान्य था. वे युवा वर्ग की सुविधाओ का बहुत ध्यान रखती थी. वाणी और व्यवहार में सरोजिनी बहुत ही स्नेहमयी थी. प्रकृति से उन्हें विशेष प्रेम था. 2 मार्च सन 1949 को भारत-कोकिला सदा के लिए मौन हो गयी.
प. जवाहरलाल नेहरु ने इन शब्दों में सरोजिनी नायडू को श्रद्धांजलि दी,” उनकी पूरी ज़िन्दगी एक कविता, एक गीत थी, सुन्दर, मधुर और कल्याणमयी.
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